केदार मंदिर से मलबा हटाए सरकार : शंकराचार्य

हरिद्वार। ज्योर्तिपीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि सरकार को केदारनाथ मंदिर से मलबा हटाकर शीघ्र पूजा शुरू करानी चाहिए। प्रकृति के प्रकोप उत्तराखंड को पहली बार नहीं झेलने पड़े हैं। 250 वर्ष पहले भी ऐसी भीषण आपदा आई थी। जिसमेें जोशीमठ स्थित ज्योर्तिमठ भी नहीं बच पाया था।
बुधवार को केशवकुंज में पत्रकारों से वार्ता में जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि दैवी आपदाएं कब आएंगी, यह केवल देवता जानते हैं। उन्होंने अपने जीवन में ऐसी प्राकृतिक आपदा कहीं नहीं सुनी। 250 वर्ष पूर्व ऐसा भीषण प्राकृतिक प्रकोप उत्तराखंड में हुआ था कि समूचा क्षेत्र इस बार से भी अधिक प्रभावित हुआ था, तब आद्य शंकराचार्य द्वारा स्थापित ज्योर्तिपीठ भी नहीं बच पाई थी।
जगद्गुरु वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता केदारनाथ के मंदिर का जीर्णोद्धार कराकर पूजा प्रारंभ कराना होना चाहिए। दुर्भाग्य से अभी तक मंदिर में एक भी काम शुरू नहीं हो पाया है। भगवान शंकर मलबे में दबे पड़े हैं और श्रावण मास आने वाला है। उन्होंने पूछा कि क्या श्रावण मास में भी जलाभिषेक नहीं हो पाएगा। जगद्गुरु ने ऊखीमठ मंदिर में पूजा को जायज ठहराते हुए सरकार से आग्रह किया कि केदारनाथ मंदिर की सफाई का कार्य प्राथमिकता से किया जाए। जगद्गुरु ने कहा कि उत्तराखंडवासियों को शांति प्रदान करने के लिए माया देवी प्रांगण में रुद्र यज्ञ का आयोजन किया गया है।
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दूसरे दिन भी जारी रहा यज्ञ
हरिद्वार। मायादेवी के प्रांगण में जगद्गुरु शंकराचार्य और श्रीमहंत हरि गिरि के संयुक्त तत्वावधान में चल रहा पांच कुंडीय रुद्र यज्ञ दूसरे दिन भी जारी रहा। 21 विद्वान पंडित दिनभर पीड़ितों की आत्मशांति के लिए आहुतियां डालते रहे।

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